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लेखनी प्रतियोगिता -15-Nov-2022 दर्द ए दिल

बड़ी उलझन है ये कैसी तड़पन है 
ना कहते बनता है 
ना चुप रहते बनता है 
मैंने तुमसे प्यार किया है 
दिलो जां से ऐतबार किया है 
प्यार में सबको छोड़कर आ गई 
घर से रिश्ता तोड़कर आ गई 
तुम्हारे साथ लिव इन में रहने लगी 
जीवन संगनी बनकर चलने लगी 
पर तुम तो बड़े बेवफा निकले 
क्या सोचा था और क्या निकले 
क्या प्यार ऐसा ही होता है 
क्या सबका दिल ऐसे ही रोता है 
तुमने मेरा नहीं वफा का खून किया है 
दर्द मुझे नहीं "प्यार" को दिया है 
जो प्यार करते हैं इतने बेरहम नहीं हो सकते 
अपनी माशूका के 35 टुकड़े नहीं कर सकते 
पर दर्द ए दिल किसको सुनाऊं 
दिल के जख्म किसे दिखाऊं 
मैं तुम जैसे दरिन्दे को पहचान नहीं पाई 
तभी तो मुहब्बत में ऐसी ठोकर खाई 
अब तो प्यार से विश्वास ही उठ गया 
लगता है कि रब मुझसे रूठ गया 
मेरे दिल की आरजू अब यही है 
तेरे दिल के भी टुकड़े हों, ख्वाहिश यही है 

श्री हरि 
15.11.22 

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7 Comments

बहुत ही उम्दा

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Raziya bano

15-Nov-2022 05:30 PM

बहुत खूब

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Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Nov-2022 10:24 PM

बहुत बहुत आभार आपका जी

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Sachin dev

15-Nov-2022 03:24 PM

Well done ☺️

Reply

Hari Shanker Goyal "Hari"

15-Nov-2022 10:25 PM

बहुत बहुत आभार आपका जी

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